क्या है आत्मनिर्भर भारत पैकेज ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनावायरस महामारी से
उबरने के लिए मंगलवार(12 मई ) रात 8 बजे 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का
एलान किया था. इस पैकेज में पहले से जारी पैकेज (पीएम गरीब कल्याण और
आरबीआई के एलान) भी शामिल है. यह आर्थिक पैकेज देश की जीडीपी का 10 फीसदी है। इसी पैकेज का नाम दिया गया है "आत्मनिर्भर भारत पैकेज ". आईये जान लेते हैं इसी पैकेज की कुछ मह्त्वपूर्ण बातें।
आत्मनिर्भर भारत के पाँच स्तंभ:
- अर्थव्यवस्था (Economy):
- अवसंरचना (Infrastructure):
- प्रौद्योगिकी (Technology):
- गतिशील जनसांख्यिकी (Vibrant Demography)
- मांग (Demand)
आर्थिक पैकेज का विश्लेषण:
- घोषित किया गया पैकेज वास्तविकता में घोषित मूल्य से बहुत कम माना जा रहा है क्योंकि इसमें सरकार के' 'राजकोषीय' पैकेज के हिस्से के रूप में RBI द्वारा पूर्व में की गई घोषणाओं को भी शामिल किया गया हैं।
- सरकार द्वारा पैकेज के तहत घोषित प्रत्यक्ष उपायों में सब्सिडी, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, वेतन का भुगतान आदि शमिल होते हैं। जिसका लाभ वास्तविक लाभार्थी को सीधे प्राप्त होता है। परंतु सरकार द्वारा की जाने वाली अप्रत्यक्ष सहायता जैसे 'भारतीय रिजर्व बैंक' के ऋण सुगमता उपायों का लाभ सीधे लाभार्थी तक नहीं पहुँच पाता है।
- RBI द्वारा दी जाने वाली सहायता को बैंक ऋण देने के बजाय पुन: RBI के पास सुरक्षित रख सकते हैं। हाल ही में भारतीय बैंकों ने केंद्रीय बैंक में 8.5 लाख करोड़ रुपए जमा किये हैं।
- इस प्रकार घोषित राशि GDP के 10% होने के बावजूद GDP के 5% से भी कम राशि प्रत्यक्ष रूप में लोगों तक पहुँचने होने की उम्मीद है।
उद्योगों क लिये विशेष प्रोत्साहन:
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग’ के लिये क्रेडिट गारंटी:
(Micro, Small and Medium Enterprises- MSMEs)
- हाल ही में MSMEs तथा अन्य क्षेत्रों के लिये सरकार द्वारा विभिन्न क्रेडिट गारंटी योजनाओं की घोषणा की गई।
- क्रेडिट गारंटी:
- बैंकों द्वारा MSMEs को दिया जाने वाला अधिकतर ऋण MSMEs की परिसंपत्तियों (संपार्श्विक के रूप में) के आधार पर दिया जाता है। लेकिन किसी संकट के समय इस संपत्ति की कीमतों में गिरावट हो सकती है तथा इससे MSMEs की ऋण लेने की क्षमता बाधित हो सकती है। अर्थात किसी संकट के समय परिसंपत्तियों की कीमतों में गिरावट होने से बैंक इन उद्यमों की ऋण देना कम कर देते हैं।
- सरकार द्वारा इस संबंध में बैंकों को क्रेडिट गारंटी दी जाती है कि यदि MSMEs उद्यम ऋण चुकाने में सक्षम नहीं होते हैं तो ऋण सरकार द्वारा चुकाया जाएगा। उदारणतया यदि सरकार द्वारा एक फर्म को 1 करोड़ रुपए तक के ऋण पर 100% क्रेडिट गारंटी दी जाती है इसका मतलब है कि बैंक उस फर्म को 1 करोड़ रुपए उधार दे सकता है। यदि फर्म वापस भुगतान करने में विफल रहती है, तो सरकार 1 करोड़ रुपए का भुगतान बैंकों को करेगी।
MSMEs की परिभाषा में बदलाव:
- परिभाषा में बदलाव क्यों?
- MSME की परिभाषा में बदलाव किया गया है क्योंकि ‘आर्थिक सर्वेक्षण’ के अनुसार लघु उद्यम लघु ही बने रहना चाहते हैं क्योंकि इससे इन उद्योगों को अनेक लाभ मिलते हैं। अत: MSME की परिभाषा में बदलाव की लगातार मांग की जा रही है।
- परिभाषा के नवीन मापदंड:
- निवेश सीमा को संशोधित किया गया है।
- कंपनी के टर्नओवर को मापदंड के रूप में जोड़ा गया है।
- निर्माण और सेवा क्षेत्र के बीच अंतर को समाप्त किया गया है।
- हालाँकि नवीन परिभाषा के लिये अभी आवश्यक कानूनों में संशोधन करना होगा।
मौजूदा MSME वर्गीकरण
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मानदंड: संयंत्र एवं मशीनरी या उपकरण में निवेश
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संशोधित MSME वर्गीकरण
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समग्र मानदंड (Composite Criteria): निवेश और वार्षिक कारोबार (टर्नओवर)
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नवीन परिभाषा की आलोचना:
- MSMEs की नवीन परिभाषा से उद्यमों को उनके आकार के कारण प्राप्त होने वाले लाभ संबंधी समस्या का समाधान संभव हो पाएगा।
- हालाँकि इस बदलाव की आलोचना की जा रही है, क्योंकि नवीन MSME की परिभाषा वैश्विक स्तर के अनुसार होनी चाहिये। नवीन परिभाषा में 5 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाली कंपनियों को लघु माना जाएगा परंतु वैश्विक स्तर पर 75 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले उद्यमों को लघु माना जाता है।
भारत में MSMEs की स्थिति:
MSME की ग्रामीण-नगरीय स्थिति:

source : ( pib official )
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